प्रारंभिक जानकारी

छत्तीसगढ़ राज्य, दिनांक 1 नवंबर 2000 को अलग होकर अस्तित्व में आया।

छत्तीसगढ़ राज्य 10 फरवरी 2020 को गौरेला-पेड्रा-मरवाही जिला अस्तित्व में आने के बाद अब छ0ग0 में जिलों की संख्या बढ़कर 28 हो गई है।शेष 27 जिले निम्नानुसार हैं:-

रायपुर, धमतरी, बलौदाबाजार , गरियाबंद , बेमेतरा , बालोद , मुंगेली , सूरजपुर , बलरामपुर, सुकमा , कोंडागांव महासमुंद, दुर्ग, राजनांदगांव, कवर्धा, बस्तर, दंतेवाड़ा, कांकेर, रायगढ़, बिलासपुर, जांजगीर-चांपा, कोरबा, जशपुर, अंबिकापुर तथा कोरिया। माह अप्रैल 2007 में जगदलपुर से पृथक करके नारायणपुर एवं दंतेवाड़ा से पृथक कर बीजापुर का गठन किया गया। इसी प्रकार माह जनवरी 2012 में 9 नवीन जिलों का गठन किया गया। इसमें बस्तर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा, बीजापुर,सुकमा ,सूरजपुर , बलरामपुर, कोंडागांव, कांकेर, सरगुजा, कोरिया, कोरबा एवं जशपुर पूर्ण रूप से आदिवासी उपयोजना क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। राज्य में कुल 146 विकासखंड हैं, इनमें आदिवासी विकासखंडों की संख्या 85 है।

छत्तीसगढ़ राज्य में 11 लोकसभा (5 सामान्य, 4 अनुसूचित जनजाति, 2 अनुसूचित जाति) क्षेत्र हैं, एवं 90 विधानसभा क्षेत्र हैं। विधान सभा क्षेत्रों में 44 क्षेत्र (34 अनुसूचित जनजाति और 10 अनुसूचित जाति) सुरक्षित हैं।

राज्य की कुल जनसंख्या (जनगणना वर्ष 2011 के अनुसार) 255.45 लाख है। इनमें से अनुसचित जनजातियों की जनसंख्या 78.22 लाख है, एवं अनुसूचित जातियों की जनसंख्या 32.47 लाख है।

राज्य में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु आदिवासी उपयोजना की अवधारणा जारी है। प्रमुख जनजाति गोंड तथा इसकी उपजातियां-माड़िया, मुरिया, दोरला आदि हैं। इसके अतिरिक्त उरांव, कंवर, बिंझवार, बैगा, भतरा, कमार, हल्बा, संवरा, नगेशिया, मझवार, खरिया और धनवार जनजाति काफी संख्या में हैं।

छत्तीसगढ़ राज्य में 5 विशेष पिछड़ी जनजातियां, बैगा, कमार, हिल कोरबा, बिरहोर, अबूझमाड़िया, निवासरत हैं। इनके लिए समग्र विकास कार्यक्रमों के क्रियान्वयन हेतु 6 विशेष रूप से कमजोर जनजाति विकास अभिकरण एवं 9 प्रकोष्ठ का गठन किया गया है।

इसके अतिरिक्त राज्य शासन द्वारा घोषित 2 विशेष रूप से कमजोर जनजाति पंडो एवं भुंजिया के समग्र विकास कार्यक्रम के क्रियान्वयन हेतु सूरजपूर में पंडो विकास अभिकरण तथा गरियाबंद में भुंजिया विकास अभिकरण का गठन किया गया हैं

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